सरहदों को जोड़ने की एक नई पहल
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जब से जिंदिगी चैनल शुरू है तब से एक मुद्दत बाद मैंने टी वी सीरियल्स देखना फिर से शुरू किये हैं इस चैनल पर दिखाए जा रहे ज़्यादा तर पाकिस्तानी सीरियल मेरे दिल के बेहद क़रीब हैं। इन्होने तो हम लोगो की जिंदिगी में रंग भर दिए हैं एक से बढ़ कर एक कहनियाँ और अफ़साने जिनमे हमें हक़ीक़त का अक्स साफ़ नज़र आता है.
पाकिस्तानी टैलेंट जिंदिगी सीरियल्स के ज़रिये आज घर- घर में पहुँच रहा है। चुनिंदा बेहतरीन कहानियाँ ,लाज़वाब डायरेक्शन , बेमिसाल अदाकारी लिए ये पाकिस्तानी सीरियल्स हिंदुस्तान की आवाम में बहुत मशहूर हो रहे हैं और लोग बड़ी दिलचस्पी से इन सीरियल्स को देख रहे हैं।
जिंदिगी गुलज़ार है, हमसफ़र , मेरा क़ातिल मेरा दिलदार , थकन , तेरे इश्क़ में , मात , कही- अनकही , कैसी ये क़यामत , गौहर, पिया रे , इजाज़त और माया वगैहरा हिंदुस्तान की आवाम के दिलों में ख़ास जगह बना चुके हैं और ख़ास बात ये है की हर सीरियल एक -ड़ेढ़ महीने में ख़त्म हो जाता है। जिसकी वजह से ज़रा सी भी बोरियत नहीं होती।
जिंदिगी चैनल के ज़रिये उर्दू जैसी मीठी ज़बान को समझने और पसंद करने वाले लोगो को ज़ी टी वी ने अनमोल तोहफा दिया है आगे आने वाले दिनों में सरहद पार के कुछ और मुल्को जैसे टर्की , ईरान , मिस्र ,श्री लंका और बांग्लादेश से भी दिल को छु देने वाले चुनिंदा अफसाने और कहानियाँ हमें देखने को मिलेंगी जिनके ज़रिये जहां हमारा तार्रुफ़ अलग -अलग मुल्कों के मुख्तलिफ़ रहन - सहन, और बोलचाल से होगा वहीं हमें इंसानी ज़ज़्बातो के अलग- अलग रंग भी देखने को मिलेंगे जो हमें ये अहसास करायेंगे की सरहदें चाहें कितनी अलग क्यों न हो लेकिन इंसानी ज़ज़्बातो एक जैसे ही होते हैं जो हमें कहीं न कहीं एक दूसरे से जोड़ते हैं।
अरशिया ज़ैदी