27 Dec 2017

हाय !!! ये व्हाट्स ऐप यूनिवर्सिटी के मैसेज





अब चंद दिन ही बचे हैं नया साल आने में और व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी लोगों को जगाने में लग  गई है पिछले हफ़्ते  मेरे पास व्हाट्सऐप  यूनिवर्सिटी का एक मैसेज आया  जिसका टाइटल था। ... कैलेंडर बदलिए.. अपनी संस्कृति नहीं। जिसमे  उन्होंने बड़ी तफ्सील से वजह  बताई की .... क्यों  हमें  नया साल पहली जनवरी को नहीं मानना चाहिए। .....

हैरानी हुई, ग़ुस्सा आया और फिर तरस आया इन लोगों की तंग दिली पर. कहाँ  पूरी दुनिया  सिमट  कर एक छोटा सा गॉव  बन गई है। अंतरराष्ट्रीय भाईचारे की बात की जाती है उस पर ये  तंग नज़रिया !!! इस तरह के मैसेज  भेज कर क्या साबित करने की कोशिश  की जा रही है और  इससे हमारी संस्कृति पर  कौन  सा दाग लग रहा है? हमारे देश की  शानदार संस्कृति  की जड़ें  बहुत गहरी हैं और इस पर कभी कोई आंच  नहीं आ सकती।हम सब का दिल हमेशा हिन्दुस्तानी रहेगा। 

नया साल  भारतीय संवत  के हिसाब से  मनाएं  या अंग्रेजी केलिन्डर के हिसाब से। .  किसी ने रोका है क्या??? सबको अपनी -अपनी पसंद से नया साल मनाने दीजिये। आजकल सब समझदार हैं और सबको पता है कि  किसको कब क्या करना है.

मेरा तो मानना है कि इसी बहाने हमें ख़ुशी मनाने  का मौक़ा मिलता है  पूरी दुनिया में सब लोग  एक -दूसरों के लिए अमन-चैन ,सुकून और खुशहाली की दुआ करने का वक़्त निकालते हैं। मोहब्बतें तो कभी भी बांटी  जा सकती है. मोहब्बत और दुआ का कोई खास वक़्त  मुक़र्रर नहीं होता।
कोई इन जागने और जगाने वाले सो कॉल्ड संस्कृति के  ठेकेदारों से कह दे। ....कि  भाई साहब हमें अकेला  छोड़ दो। ...और अपनी मर्ज़ी  से, अपनी पसंद से ख़ुशी का इज़हार करने दो.

अर्शिया ज़ैदी