24 Nov 2011

Koun Banega Karodpati-Season-5



नया इतिहास बना गया ....कौन  बना करोड़पति  सीजन -5


   . ब्रिटिश टेलीवीज़न के पोपुलर रिअलिटी शो WhoWants To Be A Millionaire की तर्ज़ पर बना "कौन बनेगा करोडपति सीज़न-5"ख़त्म हुए हफ्ता बीत चुका है लेकिन आज भी लोगो की ज़हेन में इसकी यादें ताज़ा है. जहाँ सबको अपने इस पसंदीदा रिअलिटी शो के ख़त्म होने का मलाल है . वही सब, बेसब्री से अगले सीज़न में केबीसी-6 शुरू होने का इन्तिज़ार कर रहे है.  
 
और इन्तिज़ार करे भी क्यों न,आख़िर "केबीसी-5"सैकड़ो लोगो के दिलो पर अपनी ऐसी गहरी छाप छोड़ी है जिसे मिटा पाना आसान नहीं होगा. हिंदुस्तान के आम आदमी को आसमान का सितारा बना कर इस गेम शो ने कामयाबी का नया इतिहास बना दिया है.शो की रूह कहे जाने वाले बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने आखरी एपीसोड में जिस वक़्त गुड बाय कह कर विदाई ली, उस वक़्त लोगो की आखें नम हो गयी थी.


KBC सीज़न-5 में ग्लैमर की चमक दमक के बजाये,हिंदुस्तान के एक आम आदमी की तमन्नाओं को उड़ान भरते देखा गया.इस शो ने ऐसे लोगो के लिए रास्ते बनाये जिसके पास इल्म की दौलत थी,जिंदिगी में कुछ कर गुज़रने का जूनून था लेकिन  अगर कुछ नहीं था तो..... वो था मौक़ा ..... .और ये मौक़ा मुहैया कराया केबीसी ने,जिसने इनके करोड़पति बनने का ख़ुआब हक़ीक़त  में बदल दिया .
इस बार जिस Tag Line  को प्रोमोट करते हुए KBC-5  ने अपना सफ़र शुरू किया ..वो थी ...."कोई इंसान छोटा नहीं होता"और जिन लोगो ने जीत का इतिहास बनाया ... उनकी...... जिंदिगी से, कोई लम्बी- चौड़ी फरमाइशे नहीं थी.बस किसी को सर छुपाने की लिए अपना घर खरीदना था तो कोई अपने घरवालो और बच्चो का "कल" महफूज़ करना चाहता था. 
Sushil Kumar House in Bihar 
केबीसी-5 में,5 करोड़ जीतने का इतिहास रचने वाले 27 साल के सुशील कुमार को आज पूरा हिंदुस्तान जानता है  ..... ये वही सुशील कुमार है जिनके बाबूजी के पास,बीते मानसून में टपकती छत को ठीक कराने के पैसे नहीं थे,आज हर कोई सुशील कुमार के उस घर को देखना चाहता है ... जहा ये माटी का लाल पला बढ़ा,जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में दूसरी बार जूता तब पहना जब वो KBC में हिस्सा लेने आये थे . 


हमारा बदलता भारत,जहा लोगो में बेशुमार क़ाबलियत है लेकिन उनके पास मौक़े नहीं थे  ......ज़रिये नहीं थे,जो उन्हें कामयाबी दिला सके.चार  महीने तक चले केबीसी-5 में, भारत के कोने कोने में छुपी क़ाबलियत और असली टैलेंट देखने को मिला .मध्य प्रदेश का इमली खेडा,उड़ीसा का  लास्ताला,उतराखंड का कुञ्ज बहादुरपुर,उत्तर प्रदेश का उबारपुर जैसे दूरदराज़ इलाके और क़स्बे,जिन्हें बहुत ही कम लोग जानते थे अब ये जगाहें अखबारों की सुर्खियाँ बन कर चमक रहे है .


इस बार इस रिअलिटी शो के प्रोडूसर ने ग्लैमर और स्टारडम के ज़रिये अपने प्रोडक्ट को बेचने के बजाये आम आदमी पर फोकस रखा,जिसके लिए KBC की टीम ने हिंदुस्तान के दूरदराज़ इलाको की खूब ख़ाक छानी.और असली टैलेंट को ढूँढ निकाला.

ऐसे लोग,जिन्हें ज़िन्दगी में कोई रास्ता नज़र नहीं आता था,उनके लिए केबीसी-5 ने ना सिर्फ रास्ता बनाया,बल्कि एक ऐसी मंजिल पर ला कर खड़ा कर दिया जहां से कई और रास्ते कामयाबी की नयी ऊचाइयों को छूने के लिए खुल गए .
Rukhsana  kouser 
Aparna Maaliker 
 आतंक वादियों से लोहा लेने वाली बहादुर रुखसाना कौसर हो या अपर्णा मालेकर जैसी क़र्ज़ में डूबी .एक विधवा ..... या पेड़ से गिर कर हमेशा के लिए अपनी टाँगे खो देने वाले युसूफ मल्लू .केबीसी ने  इन सबको एक बेहतर ज़िन्दिगी गुजरने के लिए पैसे दिए. इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा लोगो को केबीसी ने लखपति बना कर ख़ुशी ख़ुशी घर रवाना किया  .


केबीसी-5 में 'आम आदमी' पर फोकस करने का 'आईडिया 'बेहद कामयाब रहा.जिसने सबको प्रोफिट पहुचाते हुए,सबकी जेबें नोटों से भर दी, फिर चाहे वो इस प्रोग्राम को बनाने वाले प्रोडूसर हो,या इस प्रोग्राम का हिस्सा बनने आये मेहमान हो,सब इसके प्लेटफ़ॉर्म से खुश होकर अपने घर गए. 
Sushil Kumar & Amitabh  Bachchan 


टी.वी इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि इस बार केबीसी-5 में10 सेकंड का एक 'एड स्लोट' तक़रीबन साढ़े तीन लाख रूपए में बिका. इस हिसाब से अगर हम देखे तो KBC-5 की हर दिन की आमदनी 2 करोड़ रूपए बनती है.जबकि आमतौर पर रिअलिटी शो पर इतने ही वक़्त का एक 'एड स्लोट' डेढ़ लाख से ढाई लाख रूपए में बिकता है.सुना गया है कि जिस दिन बिहार के सुशील कुमार ने पांच करोड़ रूपए जीते उस दिन TRP 7.2 से लेकर 8 तक पंहुचा गयी थी जो अपने आप में किसी गेम शो का रिकॉर्ड है. इस बेहद मशहूर और कामयाब रिअलिटी शो के ख़त्म होने के बाद बाकी रिअलिटी शो यकीनन चैन की सांस ले रहे होंगे.

Yusuf  Mallu 
केबीसी में जान डालने वाले 'स्टार ऑफ़  द मिलेनियम'  अमिताभ बच्चन के बिना तो इस शो का तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता उन्होंने,जिस शानदार तरीक़े से केबीसी-5 को होस्ट किया और शो में हिस्सा लेने आये  हर मेहमान से,जिस हमदर्दी,अपनेपन और इज्ज़त से पेश आये उसकी जितनी भी तारीफ की जाये वो कम होगी.एक एपीसोड़ में जब हॉट सीट पर बैठे युसूफ मल्लू का अपाहिज होने का दर्द उनकी आखों से छलक पड़ा था, तो इस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी हॉट सीट से उठ कर जिस हमदर्दी और अपनेपन से उनके आसूं पोछे थे उसे देख कर हर किसी का दिल भर आया था.


खबर है कि अमिताभ बच्चन ने केबीसी -6 के लिए कांट्रेक्ट साइन कर लिया है जिसे देखने के लिए हम सब को अगले सीज़न तक इन्तिज़ार करना पड़ेगा. उम्मीद है कि केबीसी के नए सीज़न में पुराने रिकॉर्ड टूटेंगे ...  कामयाबी के कुछ नए इतिहास रचे जायेंगे और कई और ज़रूरतमंद  लोगो की ज़िन्दगी बेहतर और खूबसूरत बनेगी .


अरशिया  ज़ैदी













3 Nov 2011

Roshni ka Diya

                                        रौशनी का दीया 

बीते हफ्ते में रौशनी फैलाने वाले त्यौहार दीवाली को हम सब ने बड़ी धूम धाम से मनाया.भगवान श्री राम के14 बरस बाद अयोध्या लौटने की ख़ुशी में जहां हर तरफ रौशनी की जगमगाहट देखने को मिली वही कुछ ऐसे बदलाव भी नज़र आये जिन्होंने ये महसूस करने को मजबूर कर दिया की शायद अब दीवाली सिर्फ अमीर लोगो का त्यौहार बन के रह गया है.

दीवाली की असली मिठास जो शक्कर के खिलौनों खीले,बताशे और मिठाई  में हुआ करती थी.रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलना मिलाना अपने आप में एक तोहफा  हुआ करता था ...वो सब,अब पैसे की चकाचौंद और दिखावे में कही गुम सा हो होने लगा है. ज़रुरत से ज़्यादा  बाज़ार के - commercialization ने इस ख़ूबसूरत त्यौहार  के मायने ही बदल डाले हैं 

दीवाली में लोगो का रूझान जिस चीज पर सबसे ज्यादा दिखाई पड़ा ,वो थी महगी खरीददारी और तोहफे देने का चलन. यूं तो कोई भी तोहफा अनमोल होता है और अपने प्यार और जज़्बात को बयाँ करने के लिए तोहफे लिए और दिए जाते है.जिसे हर कोई सर- आँखों पर रखता है .बात अगर यहाँ तक रहे तो समझ में आती है लेकिन अब इस महगाई के ज़माने में दीवाली पर गिफ्ट देना एक थोपा हुआ रिवाज भी बनता जा रहा है, जो मिडिल क्लास की जेब पर जहां गैरज़रूरी बोझ डालता है वहीँ बेचारे ग़रीब आदमी को अहसास ए कामतरी का शिकार बना देता  है.

अब दीवाली के मौके पर,लोगो ने गिफ्ट के नाम पर रिश्वत देने को एक ख़ूबसूरत बहाना बना लिया है अपने बॉस या client को खुश करना हो या अपने कारोबार में फायदा लेने की मंशा हो.दीवाली के मौके पर दिया गया हर तोहफा जायज़ मान लिया जाता है.जितना बड़ा अपना फायदा उतना बड़ा और महगा तोहफा.  अब हर तरफ तोहफे देने की होड़ सी नज़र आने लगी है.

  इस चकाचौंध में कही कोई गुम हो रहा है तो वो है गरीब आदमी. हमारे देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती ही जा रही है.अमीर और ज़्यादा अमीर होते जा रहे है,ग़रीब और ज्यादा गरीब जिनकी जेबें गर्म हैं, जिनके पास खर्च करने के लिए खूब सारे पैसे है वो तो महगे तोहफे और महगी खरीददारी कर के अपनी दीवाली को अच्छी तरह मना लेते है .लेकिन अँधेरा दूर करने वाले इस त्यौहार में, उस ग़रीब तबके का क्या, जिसके पास मामूली ख़रीददारी करने के लिए भी पैसे नहीं होते.जिसे अँधेरे घर में जलाने के लिए थोड़े से दिए मिल जाये तो उसके लिए काफी होता है .मिठाई के नाम पर खीले,बताशे और शक्कर के खिलौने ही नसीब हो जाये तो उसका त्यौहार ख़ुशी ख़ुशी मन जाता है.

 क्या हम अपने फूज़ूल खर्च को रोक कर कुछ दीये उनके घरो में नहीं जला सकते जिनके घर अँधेरा है ? कुछ मिठाई,कुछ  कपड़े उनके लिए नहीं खरीद सकते जिनको ये मयस्सर नहीं ? अगर हम सब थोड़ी थोड़ी कोशिश करें तो ये न मुमकिन भी नहीं ....... सबकी तरफ से की गयी छोटी छोटी कोशिशें किसी  घर में अँधेरा नहीं रहने देंगी.
 ऐसी ही काबिले तारीफ पहल की है ....हिंदुस्तान के तीसरे सबसे अमीर भारतीय और विप्रो के chairman अज़ीम प्रेम जी ने .जो देश भर के गरीब बच्चो तक इल्म की रौशनी पहुचने के लिए अपने पैसे से,ऐसे स्कूल खोलने जा रहे है,जहां ग़रीब बच्चो को प्री स्कूल से लेकर 12 क्लास तक की education बिल्कुल मुफ्त दी जाएगी और जिस चीज़ पर सबसे  ज्यादा ध्यान दिया जायेगा वो  होगी ......  quality education.
 धने अँधेरे में इल्म की रौशनी का दिया जलाने वाले अज़ीम प्रेम जी की इस पहल के बाद इंशाल्लाह और हस्तियाँ भी इस मुहिम में शामिल होंगी और गरीबी और जहालत के अँधेरे को दूर करने  के लिए  अनगिनत दिए जलाएँगी. 

             "कभी कभी चलो दिल से अमीर हो जायें 
                    किसी गरीब के घर में दिया जला आयें ."


अरशिया ज़ैदी