29 Jun 2012

Poem- Peshani


                पेशानी

आज सुबह  जब मैंने अपनी  पलकें खोली 
उसने  झांक के देखा  मेरी  आखों  में 
और  कहा   चुपके  से मेरे कानो में.

aaj  subah jab maine apni palkein  kholi
 usne jhaak ke dekha meri aakhon mein 
 aur kha chupke se mere kano mein 

क्यों  चेहरे  पे  हैं  इतने  दर्द के  साए 
होटों  की मुस्कान  है जैसे खोयी सी 
मैंने कहा..... ख़फा  हूँ अपने माज़ी से.

 kyon  chehre pe hain itne dard  ke saye 
 honto ki muskaan hain jaise khoyee see
Maine kaha .... khapha hoon apne maazi se 

उसने मुझे  बाहों  में अपनी भर  लिया 
और प्यार से पेशानी को मेरी  चूम लिया 
मैं  हूँ ना .....माँ ने  ख़ामोशी से  कहा .

usne mujhe bhaoon mein apni bhar liya
 aur pyaar  se peshani ko meri choom liya
 main hoon  na ..... maa ne khamoshi se kha 

अरशिया  ज़ैदी (Arshia Zaidi)


15 Jun 2012

Shikast ke Phayede


                                                      शिकस्त के फायदे 


हाल  में  ही  मुझे हैरी पौटर सिरीज़ से, ....दुनिया  के नौजवान  बच्चो  के बीच अपनी  ख़ास  जगह  बना लेने वाली जे .के रौलिंग  की जिंदिगी के कुछ अनछुए पहलुओ को पढने   का मौका  मिला...... बहुत  अच्छा  लगा  साथ  ही  इस  बात  का  अहसास  भी बड़ी  शिद्दत  से   हुआ .... की  जिंदिगी  में  कुछ  भी मुफ्त  में  हासिल नहीं   होता ..... बड़े  सख्त  और  मुश्किल  हालात  से  भी गुज़रना  पड़ सकता  है  जिंदिगी  की जंग   जीतने के लिए .....जैसे -जैसे  मैं  उनके  बारे  में  पढ़ती  जा  रही थी ......वैसे -वैसे  मुझे  अपने  अंदर  एक   excitement  महसूस  होता  जा रहा  था ......... सोचा  की क्यों  न  आप  सब  के  साथ,  उनकी सोच ... उनका नज़रिया  शेयर  किया  जाए  !.

 जैसा  की  हम  सब  जानते  है ....  मशहूर ब्रिटिश  राइटर जे . के रौलिंग   उस  हस्ती  का   नाम  है .... जिन्होंने  हैरी पौटर  सिरीज़ लिख  कर  पूरी दुनिया  के नौजवान बच्चो को अपना दीवाना  बना रखा है .अब तक हैरी पौटर सिरीज़ 67 भाषाओ   में translate  की जा चुकी  है. 

कामयाबी  की ये  दास्ताँ  सुन  कर  कितना  अच्छा  लगता  है  ना ...! लेकिन  हमारे  लिए यहाँ  इस  बात  को  समझना  बेहद ज़रूरी  है  की  ये  ऊचाईयां  उन्हें  रातो -रात  हासिल नहीं  हुई है, .......उन्हें तमाम  ऊचें - नीचें  रास्तो  से  गुज़ारना पड़ा  तब जाकर  उन्हें  ये कामयाबी मिल सकी.

उनका  मानना  है  की हर  इंसान  की  जिंदिगी  में  एक ऐसा  वक़्त  आता  है ....जब  उसे  शिकस्त  का सामना करना  पड़ता  है ..... . चाहे  किसी के  पास  कितना भी  पैसा  हो , बड़ी - से  बड़ी  डिग्रीयां  हो  या  कितना  भी अच्छा करियर  क्यों न  जा रहा हो. 

ऐसा  ही  एक  दौर  उनकी  जिंदिगी  में तब  आया, जब  उनकी  शादी  टूट रही थी , उनके  ऊपर एक  बेटी की ज़िम्मेदारी थी, रहने के लिए अपना घर नहीं  था ,वो एकदम  बेरोजगार  और  अकेली थी . उस वक़्त  उन्हें  लगा था  की  वो अपनी जिंदिगी  की सबसे  बड़ी शिक़स्त  का  सामना कर  रहीं  है .
लेकिन  उस  मुश्किल  वक़्त  में   भी...... नाकामी  और  शिक़स्त  उनके  लिए  क्या  मायने रखती है.... ये  तय करने  का  हक़  उन्होंने  अपने  पास ही रखा .... हांलाकि   लोगो ने  उन  पर  अपने  -अपने नज़रिए से   शिकस्त  के  मायने   थोपने की  कोशिश  ज़रूर  की, लेकिन  उन्होंने   किसी  की बात  का कोई  असर  नहीं  लिया ... लोगो  की बातो  से बिना  confuse  हुए  हार  की अहमियत   को  समझा  .... और दिलचस्प  बात ये है.... उन्हें  अपनी जिंदिगी की  सबसे  बड़ी हार  में भी  बेशुमार फायदे  नज़र  आये. 

अपनी  हार  में पहला  फायदा  उन्हें  ये   नज़र  आया  की  वो ज़मीनी हकीक़त  से रूबरू   हुई .... उन्होंने  इस सच्चाई  को  क़ुबूल  किया की उनकी  शादी-शुदा  जिंदिगी खुशहाल  नहीं थी...इसलिए उनकी  शादी  का टूट जाना ही  बेहतर था. और  उसके  बाद  उन्होंने  कभी   पीछे मुड़  कर  नहीं देखा ... और अपनी  सारी  energy अपने  काम में लगा दी ... उन्होंने  वो करने  की ठानी जो वो  हमेशा  से करना  चाहती थी .... और  यही  वो  लम्हा  था जब उनके  दिल के सारे  डर   निकल  गए .....उनके  पास उनकी  बेटी  थी जिसे  वो बेहद प्यार करती थी.... एक  अपना  टाइप  राइटर था ... जिसकी  मदद से उन्होंने  दिमाग़  में  आये  एक  शानदार  आईडिया... को  पन्नो  पर उतारना  शुरू कर  दिया... और  तब उन्हें    अपनी  इस  खूबी  का अहसास  हुआ  की  की उनके  अंदर  शिद्दत  से  अपना  काम करने  की  सच्ची लगन है , discipline  है...   और वक़्त  की   कीमत   का  अहसास  है .

दूसरा, उन्हें  इस  बात  का  भी  अहसास  हुआ  की  उनके पास  फॅमिली  और  अच्छे  दोस्तों  का  ज़बरदस्त  moral  support  है जिसकी  वजह  से  उस बुरे  दौर में   भी उनका  आत्म विश्वास  कभी नहीं डगमगाया  और  वो  अच्छे  से अच्छा  काम  करती  रहीं .


उनका  कहना  है -
"हार  हमें   खुद  को  पहचान  पाने  का  सुनहरा  मौक़ा  देती है..... इसलिए   जब - जब जिंदिगी  में  हार का सामना  करना पड़े  तब  घबराएं  नहीं  और  अपने  अंदर  झाँक कर  अपनी  असली  ताक़त  को पहचाने  और उसका  भरपूर  फायदा  उठाएं." 
 अरशिया  ज़ैदी 






   


 


     


  

4 Jun 2012

lakkerein

          लकीरें 
आज हाथ की लकीरों को 
देखा ये सोच कर मैंने 
शायद  खुशियों  का हुजूम 
कही, मेरे लियें छुपा हो 

aaj  hath ki lakero ko 
dekha ye soch kar maine 
shayad khushiyon ka hujoom
 kahin mere liye chupa  ho.


तन्हा  सी  जिंदिगी में 
ठहरा सा  हो कोई रिश्ता 
अपना लगे जो मुझ को 
हर ग़म  में और ख़ुशी में

 tanha se zindigi mein 
 tehra sa ho koi rishta
 apna lage jo mujh ko 
 har gum mein aur khushi mein 

एक  अनजानी सी तलाश 
बरसो से रही है मुझ को 
शायद किसी सुबह 
मेरे दरवाज़े पे खड़ी हो 

Ek anjani se talash 
barson se rahi hai mujhko
sayad kisi subah 
 mere darwaze pe khadi ho 

अरशिया  ज़ैदी( Arshia zaidi)