11 Dec 2012

aage bhi jaane na tu peeche bhi jaane na tu

        
आगे भी  जाने  न   तू , पीछे भी जाने न तू .....
  जो  भी  है  ....बस  यही  एक पल है...

कितनी  बड़ी सच्चाई   छुपी है  फ़िल्म  वक़्त  के  इस  गीत में , जिसे साहिर  लुधियानवी  ने  फिल्म  वक़्त के लिए 1965 में लिखा था. ये सदा बहार  गीत  हर दौर  में  जीने  का  सही  तरीक़ा  बताता  है।

अपने  आस -पास  नज़र  दौड़ाइए  आपको ऐसे   कई लोग दिख जायेंगे  जो  हर  पल  अपनी  ज़िंदगी  में   ताज़गी   और  नएपन  को बरक़रार रखते  हुए , नई- नई  activities  करते  रहते है,  अपने  अंदर  कुछ न  कुछ  नया  शौक़  तलाश  कर  उन्हें  पूरा  करते रहते  है  और  ख़ुश  रहने  की वजह  ढूँढ  लेते  हैं। 

हर  दिन  अपने अंदर  कुछ  नया  ढूँढने  का  नाम  ही तो  है..... ज़िंदगी . बहते  पानी की तरह   ज़िंदगी    के  हर मुकाम  पर  चलते रहना  और  अपने  अंदर नई - नई    खूबियों  और सलाहियतों  को   तलाश  कर उन को  निखारने  की  कोशिश  करते  रहना   ही  एक  कामयाब जिंदिगी  का  मकसद होता  है। जो  जिंदिगी  को जीने  के सही  मायने  देता है . 

जिस लम्हा  हम   रुक  जाते है   और   ये  मान  बैठते  है .... अब   नया  करने  या सीखने के लिए कुछ नहीं बचा है   तो समझ  लीजिये  वही से    डिप्रेशन  में  जाने की शुरुवात  हो जाती  है..... बोरियत  हमें  घेरने  लगती है,  और  वक़्त  काटे  नहीं कट  पाता .शायद  यही  वजह है  की  आज  लोग  अपने शौक़  को  अपना  प्रोफेशन बना रहे है , लगी -लगाई  अच्छी - भली   नौकरियाँ  छोड़  कर वो   काम   कर रहे हैं जो  वो  करना चाहते है .... जिसको करने से उन्हें ख़ुशी  मिलती है। जब आपका  शौक़   आपका  प्रोफेशन  बन  जाता  है  तब  काम करने  में  एक अलग ही मज़ा आता है।

आज दुनिया  में वही लोग सबसे  ज्यादा  कामयाम  हैं   जिन्होंने  वक़्त  और  हालात  के साथ  खुद को बदलने  की   हिम्मत  दिखाई  है   चाहें  वो  लेटेस्ट  टेक्नोलॉजी   को सीखने  की लगन और  जोश  हो .... या रिश्तो  और रोज़ मर्रह  की ज़िन्दिगी  में  वक़्त और हालात  के साथ  ख़ुद  को ढाल  लेने का हुनर!

आपको  पता  है  अपनी जिंदिगी  की रोज़ - मर्रह की  उलझनों और परेशानियों  से बचने का भी  ये  बेहद  कारगर नुस्खा  है  अगर  आप  अपने  आप को  कामो में बिज़ी  रखते  है  और  अपने दिमाग को  इतनी फुर्सत  नहीं लेने देते  की  वो  फुज़ूल की  बातें  सोच सके ...  तो समझ लीजिये की आप ने   सही  राह  पकड़ी  हुई  है .
अक्सर  हम   अपने  प्लान्स को आगे  के लिए मुल्तवी  करते  है .... की जब ये हो जायगा तो  वो  करेंगे ... और वो हो जाएगा तो ये करेंगे .... हम  सही वक़्त का इन्तिज़ार करते रहते  है  जो  की कभी नहीं  आता ..... सही वक़्त  "आज" और "अभी" है  जिसे  हमें  हमेशा  याद रखना  चाहिए।  

माँ - बाप  अक्सर  अपने  बच्चों   के  सेटल  होने  का इन्तिज़ार  में  अपने  प्लान्स  को  पीछे   रखते  है , हो सकता है  की  कुछ  ख़ास  चीज़े  या  कुछ ख़ास काम  करने  के लिए सही वक़्त न  आया  हो  लेकिन उसका ये मतलब बिल्कुल  भी नहीं  होना चाहिए  की आप अपने अंदर  ख़ुआबो  और   ख़ु हाहिशो  को  न  पलने  दें  बल्कि  अच्छा   यही  होगा  की  आप उन्हें  हर लम्हा  जिंदा  रखें  ताकी वक़्त आने पर उन्हें  पूरा  किया जा सके।

"आज"  और "अभी"  में  जी  कर  आप  अपनी एक छोटी  सी  लव  स्टोरी  में  अपने  पार्टनर  के साथ   बिताये गए,  कुछ लम्हों में  एक उम्र  जी लेते  है  ... ...वक़्त  और हालात  भले  ही  आपको   ज़्यादा  दूर तक  साथ  न चलने  दे  , लेकिन तब आपको ये  तसल्ली  तो  होती  है   की आपने  अपने दिल के  बेहद  क़रीब  एक रिश्ते को  बहुत थोड़े  से  वक़्त  में  बेहद ख़ूबसूरती  से  जी लिया।  अपने   फुर्सत  के  लम्हों  में  आप  उन  अनमोल लम्हों  को याद  करके थोडा  सा  सुकून  तो  महसूस  कर  पाएंगे  की..... आपने   उन  चंद   हसीन  लम्हों में  ही  अपने  ... . प्यार  भरे रिश्ते  को   उम्र  भर  के  लिए  जी लिया  जो  एक ख़ुश नुमा याद बन कर  ताउम्र  आपके  साथ  रह  सकता  है . 
  
अपनी जिंदिगी को  बासी  पन  से  हमेशा  दूर  रखें ..... उस तरह से  ना  जीते   रहे  जैसे जीते  आयें है और न ही  एक  ही तरीक़े  से  काम करते  रहने की  कोशिश  करें .अपनी जिंदिगी में  आ रहे बदलाव  को खुली  सोच  और खुली  बाहों   से कुबूल  करें। हमारी  जिंदिगी हमें   बार बार इशारे करती है .....समझाती   है  की  हम  अपनी  सोंच  और  काम करने के  तरीकों  में   नया पन लाएं और  उसे  अपनाने  के लिए  अपने अंदर सलाहियत पैदा  करें।  हर दिन    बढती उम्र  और  नज़दीक  आते बुढ़ापे  में अगर एक स्टाइल  हो .... एक अंदाज़ हो .... तो क्या बात है!!!

अरशिया  ज़ैदी 








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