21 Aug 2011

Touch


                                    स्पर्श एक अहसास 



अक्सर देखा गया है कि जब हमारे अपने हमें प्यार से गले लगाते है तो हमारी आख़े नम हो जाती  हैं.हम जज्बाती हो उठते हैं,गला रुंध सा जाता है और लफ्ज़ जैसे गले में ही अटक कर रह जाते है.क्या आपने कभी इस बात पर ग़ौर किया है कि ऐसा क्यों होता है?
ये कुछ और नहीं, बल्कि स्पर्श का  खुशनुमा अहसास है,जो शारीरिक  सीमओं को लाघ कर हमारे जज्बातों को छूता हुआ, हमारी रूह में उतर जाता है. ये उन खूबसूरत लम्हों का अहसास है,...जिन पर  वक़्त की धूल कभी नहीं जमती.सालो बीत जाने के बाद भी कल की बात लगती है.


Father & Daughter
हमारी रोज़ मर्रा की जिंदगी में ऐसी कई चीज़े और घट्नाय होती रहती  है जो हमारे दिल को  छू  जाती  हैं..... जैसे माँ बाप का ममता भरा स्पर्श , अपनों के साथ बिताये गए हसीन यादगार लम्हे, रूह में उतर जाने वाला कोई संगीत किसी की कही हुई कोई अच्छी बात,किसी गीत या ग़ज़ल के खूबसूरत बोल ,कुदरत का कोई हसींन नज़ारा,अपने बच्चे का पहला कोमल स्पर्श,किसी की सुरीली आवाज़ या जिंदगी के सफ़र में मिलने वाले कुछ ऐसे अनजाने लोग ,जो आपके अपने से बन गए हो...... वगेहरह वागेहरह.
किसी से मुलाक़ात करते वक़्त जब हाथो का स्पर्श होता है, तो ये स्पर्श कई बार ये महसूस करा देता है कि सामने वाला,इस मुलाक़ात को लेकर कितना उत्साहित और  पोजिटिव है.स्पर्श के बारे में अब तक कई रिसर्च की जा चुकी है,जो ये कहती है कि पहली बार गर्म जोशी से हाथ मिलाने और गले लगा कर मुलाक़ात करने से,एक दुसरे positive vibes मिलती  है और Oxytocin नाम का एक हर्मोन निकलता है,जो एक-दूसरे के लिए प्यार और परवाह को ज़ाहिर करता है .

हम अपने बड़ो का आदर - सम्मान करने के लिए उनके पैर छूते है, और जिसके  बदले में पाते है ढेर सारा आर्शीवाद और दुआए. चरण -स्पर्श का ये खूबसूरत  रिवाज बड़ो और छोटो, दोनों के दिलो को छूता है और प्यार के रिश्तो  को मजबूत करता है.
अपने माथे पर अपनी माँ के होठो का स्पर्श, भला कोई कैसे  भूल सकता है . कैसे भूलाया  जा सकता है, माँ के उन हाथो  का स्पर्श, जिन्होंने हमें पाल - पोस कर बड़ा कर दिया, और वो सुकून और सिक्यूरिटी का अहसास ,जो बच्चो को अपने पिता के सीने से लग कर मिलता है जिसको लफ्ज़ो में बयान कर पाना मुमकिन नहीं .

'स्पर्श' लफ्ज़ो से कही ज्यादा असरदार तरीके से, हमारे जज्बातों  को ज़ाहिर कर सकता है. किसी के साथ कोई दर्द- नाक हादसा हो जाने पर कई बार उसे दिलासा दे पाना  बड़ा मुश्किल  हो जाता है. शब्द  कम पड़ने लगते है, ऐसे  में आपका स्नेह भरा स्पर्श,आपकी हमदर्दी भरे ज़ज्बातो को आसानी से उन तक पंहुचा सकता  है.

बेज़बान जानवर भी प्यार के ज़ज्बात को बड़ी शिद्दत से महसूस करते है एक साहिबा का पालतू तोता तब तक अपने पिंज़रे में चीखता रहता जब तक उसकी मालकिन उसे पिन्जरे से निकाल कर प्यार से सहला कर चूमती नहीं थी,और मिठू मियां भी अपनी मालकिन के प्यार का जवाब उन्हें पप्पी कर के देते थे.है- न ये ,ये स्पर्श का कमाल !
मशहूर हिंदी फिल्म 'मुन्ना भाई ऍम बी बी एस' में संजय दत्त की टच थेरेपी यानी' जादू  की झप्पी' तो अभी तक सबको याद है , वो स्पर्श का ही जादू तो था जिसने फिल्म में मरीजों को अच्छा किया और सबको,जादू की झप्पी दे कर लोगो के साथ अच्छा बर्ताव करने का सन्देश दिया | इस 'टच थेरपी से लोगो की बीमारियों  का  इलाज भी किया जाने लगा है,जिसमे शरीर की उर्जा को इकठ्ठा करके संतुलित और सेहतमंद बनाया जाता है और मरीजों की तकलीफों को दूर किया जाता है.
जब रिश्तो में प्यार और अपना पन होता है,तो एक-दुसरे से उम्मीदे भी हो जाती है और जब ये उम्मीदे पूरी नहीं होती तो दिल को ठेस लगती है ,रिश्तो में नाराज़गी और कड़वाहट आ जाती है ऐसे में स्पर्श, आपसी नाराज़गी को मिटाने में काफी मददगार साबित हो सकता है . बशेर्ते गिले-शिकवे दूर करने की  ईमानदार कोशिश की जाये .ऐतबार को बार-बार चकनाचूर करने ,गलतियाँ  दोहराते रहने के बाद अगर प्यार और हमदर्दी का झूठा  दिखावा किया जायेगा .....और फिर सुलह करने की कोशिश की जाएगी तो सिर्फ नाकामी  ही हाथ लगेगी.
स्पर्श हमारे सच्चे  ज़ज्बातो को ज़ाहिर करता है| अगर ज़ज्बात सच्चे नहीं होंगे ,तो लाख गले लगा कर, प्यार भरा स्पर्श महसूस करवाने की, कोशिश की जाये.... वो स्पर्श, दिल को कभी छु नहीं सकेगा और न ही आपसी रिश्ते खुशनुमा हो सकेंगे.
हम बड़े होने के बाद  स्पर्श करने और करवाने से बचने लगते है और यहाँ तक की, किसी अपने के, स्नेह भरे  स्पर्श से भी नर्वस हो जाते है....शायद वो इसलिए क्योकि बड़े होने के बाद स्पर्श को सिर्फ 'सेक्स' से जोड़ कर देखा जाने लगता है.
पश्चिमी देशो के मुकाबले हमारे मुल्क में स्पर्श करने और करवाने, दोनों को ही बुरा समझा जाता है,क्योकि इसमें हमें  सिर्फ गन्दगी और बुराई ही नज़र आती है ...जबकि ये गन्दगी और बुराई तो हमारी सोच में होती है जिसकी वजह से ,हमें अच्छी बात में भी बुराई नज़र आती है और हम आलोचना करने के बहाने तलाश कर लेते  हैं .इस तरह का बर्ताव, हमारी सोच के तंग दायरे को ज़ाहिर करता है जिसके चलते हम,कुदरत के इस खुशनुमा अहसास को दरकिनार कर देते है.

हम में से ऐसे कितने लोग होंगे जिन्होंने अपने माँ-बाप को बेफिक्री से एक दुसरे के हाथ में हाथ डाले पास-पास बैठे देखा होगा.'सम्मानजनक रूप' से पति-पत्नी के, एक-दुसरे के लिए ज़ाहिर की गयी मोहब्बत और परवाह न सिर्फ,उनके बीच के रिश्तों को गहरा बनाती है, बल्कि बच्चो को भी ये महसूस कराती है कि उनके परेंट्स का रिश्ता,पाक और अटूट है जिसे  मोहब्बत और यकीन के, ऐसे मजबूत धागों में पिरोया गया है,जो कभी नहीं  टूटेगा.ऐसा करके हम बच्चो को ज्यादा सुरक्षित  होने का अहसास कर पाएंगे .
 इस प्यार भरे स्पर्श' की सबसे ज्यादा ज़रुरत बड़े बुजुर्गो और हमारे माँ-बाप को होती है जिनके वो कंधे शायद अब  इतने मजबूत नहीं रहे जिन पर हम सवारी किया करते थे .....पीठ दर्द करने लगी है, शरीर थक  गया है..... निगाह कमजोर हो गयी है,धुन्दला  दिखाई देने लगा है.....फिर भी ये सूनी आखे कुछ तलाश कर रही है.....यकीनन हमारा- आपका  यानी .... अपने बच्चो का प्यार भरा स्पर्श.
जिन माँ-बाप और बड़े--बुजुर्गो ने,अपनी ज़िन्दगी के बेहतरीन साल और कीमती वक़्त, हमारी एक मुस्कराहट पर बस यूं ही नेओछावर कर दिया..हमारी अच्छी  परवरिश की,हमें अच्छे संस्कार देकर लायक और कामयाब इंसान बनाया जिनकी उंगली पकड़ कर हमने चलना सीखा ,जिन्होंने रातो  में जाग कर हमारी देख भाल की, हमारी आँखों  से बहते आँसू पोछे,और वक़्त की परवाह किये बगैर,घंटो बड़े चाव से रोज़ हमारे दोस्तों और स्कूल के क़िस्से सुने .
Grand father & Grand daughter
 लेकिन अफ़सोस.....आज,उनके साथ,बिताने के लिए,हमारे पास चंद मिनट का भी वक़्त नहीं है हमने उन्हें अकेलेपन और depression के अंधेरो में ढ़केल दिया है और खुद अपनी ज़िन्दगी में मस्त है .हमें, शायद  खुद को इस दर्दनाक सच्चाई से ,रूबरू करने की ज़रुरत  है,कि आज हम जिन माँ-बाप और बड़े-बुजुर्गो की अहमीयत और मोजूद्गी को 'फॉर ग्रांटेड' ले रहे है,कल, वो शायद हमारे साथ न हो,और हमसे इतनी दूर..... चले जाये कि हम उन्हें देखने,स्पर्श करने को, तरस जाये और  हमारे लाख आवाज़ देने के बाद भी वापस न आ पाए.
मत फिसलने दीजिये इस बेशकीमती वक़्त को अपने हाथ से, हम खुशकिस्मत है कि हम पर बड़े-बुज़र्गो का साया है ,अपनों का साथ है ....अपने दिल में दबे प्यार को बाहर आने दीजिये और अपनों के साथ बढ़ते इस  -communication gap को खत्म कर दीजिये.


Touch Therapy
थाम लीजिये अपने -बुजुर्गो  के खूबसूरत झुर्रियो भरे हाथो  को, और प्यार से उनके गले  लग कर -उन्हें महसूस करा दीजिये कि आपको उनकी परवाह है.....और उनका साथ.....आपके लिए  अनमोल है.
अरशिया  ज़ैदी 

15 Aug 2011

Insaani Ristey (poem)

              इंसानी रिश्ते


जिंदा रखते हैं, इंसान को इंसानी रिश्ते,
कितने नाज़ुक हैं मगर ,हाय ये इंसानी रिश्ते

समां कुछ ऐसा बंधा है, आज रिश्तों में ,
नहीं टिकता कोई रिश्ता, अब उम्र भर  के लिए 

फिज़ा कुछ ऐसी चली है, आज खुदगर्जी की 
सभी है डूबे  हुए, सोचने में, सिर्फ अपने लिए 

तमाम उम्र किसी रिश्ते को निभाने के लिए
बहुत ज़रूरी है, ऐतबार दोनों के लिये


वफ़ा की शर्त भी, लाजिम है दोस्ती के लिए 
मगर ये बात पुरानी है,अब सभी के लिए

 अरशिया  ज़ैदी
Published in Hindi Magazine MUKTA(Delhi Press)2003

Hausala (poem)

               हौंसला 

हौंसले को खुद से,
 कभी तुम जुदा न  करना 
हार कर कभी तुम
 कोशिशें कम न करना

एक दिन तुम्हारा होगा,
 ये ऐतबार करना 
उस वक़्त का सब्र से तुम
इंतज़ार करना


पहचान तुमको अपनी 
खुद ही बनानी होगी 
जद्दो जहेद से अपनी
मंजिल को पाना होगा 

राहों में मुश्किलें  जो 
आएँगी तुम्हारे 
उन  से उबर के तुमको
रास्ता  बनाना होगा

अर्शिया ज़ैदी
  Published  in Sarita (Delhi Press) in April 2001