स्पर्श एक अहसास

ये कुछ और नहीं, बल्कि स्पर्श का खुशनुमा अहसास है,जो शारीरिक सीमओं को लाघ कर हमारे जज्बातों को छूता हुआ, हमारी रूह में उतर जाता है. ये उन खूबसूरत लम्हों का अहसास है,...जिन पर वक़्त की धूल कभी नहीं जमती.सालो बीत जाने के बाद भी कल की बात लगती है.
![]() |
Father & Daughter |

किसी से मुलाक़ात करते वक़्त जब हाथो का स्पर्श होता है, तो ये स्पर्श कई बार ये महसूस करा देता है कि सामने वाला,इस मुलाक़ात को लेकर कितना उत्साहित और पोजिटिव है.स्पर्श के बारे में अब तक कई रिसर्च की जा चुकी है,जो ये कहती है कि पहली बार गर्म जोशी से हाथ मिलाने और गले लगा कर मुलाक़ात करने से,एक दुसरे positive vibes मिलती है और Oxytocin नाम का एक हर्मोन निकलता है,जो एक-दूसरे के लिए प्यार और परवाह को ज़ाहिर करता है .

अपने माथे पर अपनी माँ के होठो का स्पर्श, भला कोई कैसे भूल सकता है . कैसे भूलाया जा सकता है, माँ के उन हाथो का स्पर्श, जिन्होंने हमें पाल - पोस कर बड़ा कर दिया, और वो सुकून और सिक्यूरिटी का अहसास ,जो बच्चो को अपने पिता के सीने से लग कर मिलता है जिसको लफ्ज़ो में बयान कर पाना मुमकिन नहीं .


स्पर्श हमारे सच्चे ज़ज्बातो को ज़ाहिर करता है| अगर ज़ज्बात सच्चे नहीं होंगे ,तो लाख गले लगा कर, प्यार भरा स्पर्श महसूस करवाने की, कोशिश की जाये.... वो स्पर्श, दिल को कभी छु नहीं सकेगा और न ही आपसी रिश्ते खुशनुमा हो सकेंगे.
हम बड़े होने के बाद स्पर्श करने और करवाने से बचने लगते है और यहाँ तक की, किसी अपने के, स्नेह भरे स्पर्श से भी नर्वस हो जाते है....शायद वो इसलिए क्योकि बड़े होने के बाद स्पर्श को सिर्फ 'सेक्स' से जोड़ कर देखा जाने लगता है.
पश्चिमी देशो के मुकाबले हमारे मुल्क में स्पर्श करने और करवाने, दोनों को ही बुरा समझा जाता है,क्योकि इसमें हमें सिर्फ गन्दगी और बुराई ही नज़र आती है ...जबकि ये गन्दगी और बुराई तो हमारी सोच में होती है जिसकी वजह से ,हमें अच्छी बात में भी बुराई नज़र आती है और हम आलोचना करने के बहाने तलाश कर लेते हैं .इस तरह का बर्ताव, हमारी सोच के तंग दायरे को ज़ाहिर करता है जिसके चलते हम,कुदरत के इस खुशनुमा अहसास को दरकिनार कर देते है.
हम में से ऐसे कितने लोग होंगे जिन्होंने अपने माँ-बाप को बेफिक्री से एक दुसरे के हाथ में हाथ डाले पास-पास बैठे देखा होगा.'सम्मानजनक रूप' से पति-पत्नी के, एक-दुसरे के लिए ज़ाहिर की गयी मोहब्बत और परवाह न सिर्फ,उनके बीच के रिश्तों को गहरा बनाती है, बल्कि बच्चो को भी ये महसूस कराती है कि उनके परेंट्स का रिश्ता,पाक और अटूट है जिसे मोहब्बत और यकीन के, ऐसे मजबूत धागों में पिरोया गया है,जो कभी नहीं टूटेगा.ऐसा करके हम बच्चो को ज्यादा सुरक्षित होने का अहसास कर पाएंगे .
इस प्यार भरे स्पर्श' की सबसे ज्यादा ज़रुरत बड़े बुजुर्गो और हमारे माँ-बाप को होती है जिनके वो कंधे शायद अब इतने मजबूत नहीं रहे जिन पर हम सवारी किया करते थे .....पीठ दर्द करने लगी है, शरीर थक गया है..... निगाह कमजोर हो गयी है,धुन्दला दिखाई देने लगा है.....फिर भी ये सूनी आखे कुछ तलाश कर रही है.....यकीनन हमारा- आपका यानी .... अपने बच्चो का प्यार भरा स्पर्श.
जिन माँ-बाप और बड़े--बुजुर्गो ने,अपनी ज़िन्दगी के बेहतरीन साल और कीमती वक़्त, हमारी एक मुस्कराहट पर बस यूं ही नेओछावर कर दिया..हमारी अच्छी परवरिश की,हमें अच्छे संस्कार देकर लायक और कामयाब इंसान बनाया जिनकी उंगली पकड़ कर हमने चलना सीखा ,जिन्होंने रातो में जाग कर हमारी देख भाल की, हमारी आँखों से बहते आँसू पोछे,और वक़्त की परवाह किये बगैर,घंटो बड़े चाव से रोज़ हमारे दोस्तों और स्कूल के क़िस्से सुने .
![]() |
Grand father & Grand daughter |
मत फिसलने दीजिये इस बेशकीमती वक़्त को अपने हाथ से, हम खुशकिस्मत है कि हम पर बड़े-बुज़र्गो का साया है ,अपनों का साथ है ....अपने दिल में दबे प्यार को बाहर आने दीजिये और अपनों के साथ बढ़ते इस -communication gap को खत्म कर दीजिये.
No comments:
Post a Comment