आतंकवाद और हम
हाल में ही दिल्ली में हुए धमाको ने पूरी दिल्ली को हिला कर रख दिया .कई बेगुनहा लोगो की जाने चली गयी,और बाक़ी कई लोग कई दिन तक घायल अवस्था में,जिंदिगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे .एक बार फिर आतंकवाद ने मानवता को शर्मिंदा कर दिया.
आतंकवादियों ने पहले जयपुर , बंगलौर,अहमदाबाद ,और अब भारत की राजधानी दिल्ली को अपने आतंकवाद का निशाना बनाया है तथा लोगो के दिलो में दहशत बैठाने का असफल प्रयास किया है. आतंकवाद समाज के नाम पर ,धर्म के नाम पर, देश के नाम पर और राजनीती के नाम पर आम आदमी को बाटने की एक सोची -समझी साजिश है .आतंकवाद के माध्यम से कुछ असामाजिक तत्व देश के प्रति गद्दारी करते हुए,अपने व्यक्तिगत स्वार्थो को पूरा कर रहे है,नहीं तो ऐसा कौन सा धर्म है जो मजहब और जिहाद के नाम पर बेगुनहा और मासूम लोगो की जान लेना सिखाता हो .
जहा तक इस्लाम धर्म का सम्बन्ध है ,वो तो आपसी सदभाव,अहिंसा और प्रेम का सन्देश देता है|ये धर्म तो पेड़-पौधो से लेकर जानवरों और इंसानों को चोट पहुचाने को भी पाप समझता है....तो फिर ये इंसानियत के दुश्मन इस्लाम के नाम पर लोगो का खून कैसे बहा सकते है और हजारो लोगो की रोज़ी-रोटी कैसे छीन सकते है?
आज का भारतीय मुसलमान अपने उन सभी भाई बहनों लिए बेहद दुखी है ,जो इस आतंकवाद के शिकार हुए है ,इसका जबरदस्त विरोध ,वो कभी लखनऊ की मशहूर हजरत अब्बास की दरगाह पर,मुह पर सफेद पट्टी बांध कर करते हैं तो कभी लाखो मुसलमान, मुंबई में शुक्रवार की नमाज़ के बाद ,विशेष तौर पर दहशत गर्दी के लिए बददुआ करने के लिए अपने हाथ उठाते हैं .
आज हर मुसलमान जो भारतीय है ,वो इस आतंकवाद की ज़ोरदार शब्दों में निंदा करता है और इस पाप के लिए दोषियों को कठोर से कठोर सज़ा दिलाने की हिमायत करता है . दूसरी ओर जब- जब इन दहशत गर्दो ने मानवता का रक्त बहाया है ,तब तब हजारो नेक और अच्छे लोगो ने आगे आकर हादसे के शिकार लोगो के लिए , हर सम्भव सहायता देने का प्रयास किया है फिर चाहे वो किसी धर्म ,किसी जाति या समाज के किसी वर्ग से सम्बंध रखता हो . हर भारतीय ने अपने इन भाई बहनों के लिए सहयता करके देश और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा किया है .
इसी सम्बंध में दो कूड़ा बीनने वाले बच्चो ने दो जिंदा बमो के खबर वक़्त रहते पुलिस को दी. जिनके कारण पुलिस उन बमों को निष्क्रिय कर सकी और कई और बड़े हादसे होने से बच गए .
आतंकवाद हमारी लड़ाई है जिस के लिए हम सभी को मिल कर आगे आना होगा और पहल करनी होगी केवल पुलिस और नेताओ पर हम सारी ज़िम्मेदारी नहीं डाल सकते . हमें भी जागरूक होना पड़ेगा ,तभी हम अपने देश को आतंक वाद से बचा पायेगे . साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि दोषी व्यक्ति को सख्त से सख्त सज़ा मिले ,पर किसी निर्दोष के साथ कोई अन्याए ना हो. हमारा देश सभी के रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान हो .और अब न तो कोई आतंकवाद की घटना घट सके और न ही कोई आतंकवाद के भेट न चढ़ सके .
अरशिया ज़ैदी
Published in hindi monthly Magazine BYAAN(nov.2008)
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