एक श्रद्दांजली बापू को
Always aim at complete harmony of thoughts word & deed.Always aim at purifying your thoughts and every thing will be well. Mahatma Ghandi
यह महान विचार है बापू के,जिनकी 142 वी सालगिरह मनाते हुए हम सब उन्हें याद कर रहे है.अहिंसा और सत्याग्रह के जिन हथियारों को लेकर बापू ने ,आज़ादी की एक लम्बी लड़ाई लड़ी और हमारे देश को अंग्रेजो की गुलामी से आज़ाद कराया, उनकी उसी फिलोसफी और गाँधीगीरी का गहरा असर, हमें आज भी देखने को मिलता है.
इसके लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है ,अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन को ही ले लीजिये ,जिन्होंने बापू के रास्ते पर चल कर ही अपने आन्दोलन को कामयाब बनाया. हज़ारो की भीड़ जमा होने के बावजूद वहां न तो कोई अफरा-तफरी मची और न ही कोई हंगामा हुआ .लोग शांति और सब्र से मैदान में डटे रहे . क्या बड़े क्या बच्चे ,सभी गाँधी टोपी पहने हुए पूरी तरह गाँधी वाद के रंग में रगे हुए नज़र आ रहे थे .गाँधी जी के उसूलो का गहरा असर वहां जमा लोगो के बर्ताव में साफ़ नज़र आ रहा था .
आज जब हमारा देश महगाई भ्रष्टाचार,आतंकवाद,गरीबी जैसी तमाम मुश्किलों से जूझ रहा है.सामाजिक उथल- पुथल मची हुई है.बेगुनाह और मासूम लोगो का खून बहाया जा रहा है. बापू के सपनो का वो भारत जो गाँव और क़स्बो में बसता था ,उन बसे बसाये गाँव को बेदर्दी से उजाड़ा जा रहा है. आम आदमी के साथ खुले आम नाइंसाफी की जा रही है और देखने -सुनने वाला कोई नहीं.इन्साफ बेबस होकर दम तोड़ रहा है.
गाँधी जी का गुजरात अब नरेंद्र मोदी जैसे लोगो की गिरफ्त में है.जिन्होंने नफरत के बीज बोकर, तैयार की गयी फसल को काटने की नाकाम कोशिश की है.इनकी तानाशाही का ताज़ा तरीन शिकार I.P.S ऑफिसर संजीव भट्ट बने है.जिन्हें किसी झूठे मामले में फ़सा कर जेल में डाल दिया गया है.उनका कुसूर सिर्फ इतना हैकि उन्होंने नरेन्द्र मोदी पर गुजरात दंगो में शामिल होने का इलज़ाम लगाया था.
देश में ऐसे हालात पैदा हो गए है जहा बापू के उसूलो और उनके अपनाये रास्ते पर चलने की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महात्मा गाँधी के सिद्दांत और गाँधीवादी विचार धारा कितनी अहमियत रखती है इसकी जीती-जागती मिसाल है .93 साल के गाँधीवादी नेल्सन मंडेला जो साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति है. जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है.वो दुनिया के सबसे ज्यादा बाइज्ज़त,और मशहूर ह्स्तीओ में से एक है .नेल्सन मंडेला ने गाधी जी के दिखाए रास्ते पर चल कर अपनी मंजिल को पाया है.और सारी दुनिया को दिखा दिया है कि गांधीवाद ही वो रास्ता है,जिस पर चल कर हर मुश्किल से मुश्किल मसले का हल शांति से निकाला जा सकता है. आज दुनिया में उनके जैसा कोई नहीं. उन्होंने बद से बदतर हालात में भी हिम्मत नहीं हारी और टेढ़े मेंढ़े रास्तो पर बिना डगमगाए चलते हुए अपनी मंजिल को पाया है.
दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू, 30 जनवरी 1948 को शहीद कर दिए गए। उनकी शहादत पर यक़ीन न करते हुए, किसी शायर ने यूं अपना दर्द बयां किया था -
"ख़ुदारा न बोलो यह मनहूस बोली
भला कौन मारेगा बापू को गोली
ज़मी ऐसी बातों से थर्रा गयी है।
जगाओ न बापू को नींद आ गयी है।"
महात्मा गांधी की शख्सियत क्या थी इसे किसी को बताया या समझाया नहीं जा सकता .....सिर्फ महसूस किया जा सकता है .साबरमती के इस संत को हमारा सलाम.
Always aim at complete harmony of thoughts word & deed.Always aim at purifying your thoughts and every thing will be well. Mahatma Ghandi
यह महान विचार है बापू के,जिनकी 142 वी सालगिरह मनाते हुए हम सब उन्हें याद कर रहे है.अहिंसा और सत्याग्रह के जिन हथियारों को लेकर बापू ने ,आज़ादी की एक लम्बी लड़ाई लड़ी और हमारे देश को अंग्रेजो की गुलामी से आज़ाद कराया, उनकी उसी फिलोसफी और गाँधीगीरी का गहरा असर, हमें आज भी देखने को मिलता है.
इसके लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है ,अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन को ही ले लीजिये ,जिन्होंने बापू के रास्ते पर चल कर ही अपने आन्दोलन को कामयाब बनाया. हज़ारो की भीड़ जमा होने के बावजूद वहां न तो कोई अफरा-तफरी मची और न ही कोई हंगामा हुआ .लोग शांति और सब्र से मैदान में डटे रहे . क्या बड़े क्या बच्चे ,सभी गाँधी टोपी पहने हुए पूरी तरह गाँधी वाद के रंग में रगे हुए नज़र आ रहे थे .गाँधी जी के उसूलो का गहरा असर वहां जमा लोगो के बर्ताव में साफ़ नज़र आ रहा था .
आज जब हमारा देश महगाई भ्रष्टाचार,आतंकवाद,गरीबी जैसी तमाम मुश्किलों से जूझ रहा है.सामाजिक उथल- पुथल मची हुई है.बेगुनाह और मासूम लोगो का खून बहाया जा रहा है. बापू के सपनो का वो भारत जो गाँव और क़स्बो में बसता था ,उन बसे बसाये गाँव को बेदर्दी से उजाड़ा जा रहा है. आम आदमी के साथ खुले आम नाइंसाफी की जा रही है और देखने -सुनने वाला कोई नहीं.इन्साफ बेबस होकर दम तोड़ रहा है.
गाँधी जी का गुजरात अब नरेंद्र मोदी जैसे लोगो की गिरफ्त में है.जिन्होंने नफरत के बीज बोकर, तैयार की गयी फसल को काटने की नाकाम कोशिश की है.इनकी तानाशाही का ताज़ा तरीन शिकार I.P.S ऑफिसर संजीव भट्ट बने है.जिन्हें किसी झूठे मामले में फ़सा कर जेल में डाल दिया गया है.उनका कुसूर सिर्फ इतना हैकि उन्होंने नरेन्द्र मोदी पर गुजरात दंगो में शामिल होने का इलज़ाम लगाया था.
देश में ऐसे हालात पैदा हो गए है जहा बापू के उसूलो और उनके अपनाये रास्ते पर चलने की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महात्मा गाँधी के सिद्दांत और गाँधीवादी विचार धारा कितनी अहमियत रखती है इसकी जीती-जागती मिसाल है .93 साल के गाँधीवादी नेल्सन मंडेला जो साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति है. जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है.वो दुनिया के सबसे ज्यादा बाइज्ज़त,और मशहूर ह्स्तीओ में से एक है .नेल्सन मंडेला ने गाधी जी के दिखाए रास्ते पर चल कर अपनी मंजिल को पाया है.और सारी दुनिया को दिखा दिया है कि गांधीवाद ही वो रास्ता है,जिस पर चल कर हर मुश्किल से मुश्किल मसले का हल शांति से निकाला जा सकता है. आज दुनिया में उनके जैसा कोई नहीं. उन्होंने बद से बदतर हालात में भी हिम्मत नहीं हारी और टेढ़े मेंढ़े रास्तो पर बिना डगमगाए चलते हुए अपनी मंजिल को पाया है.
दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू, 30 जनवरी 1948 को शहीद कर दिए गए। उनकी शहादत पर यक़ीन न करते हुए, किसी शायर ने यूं अपना दर्द बयां किया था -
"ख़ुदारा न बोलो यह मनहूस बोली
भला कौन मारेगा बापू को गोली
ज़मी ऐसी बातों से थर्रा गयी है।
जगाओ न बापू को नींद आ गयी है।"
महात्मा गांधी की शख्सियत क्या थी इसे किसी को बताया या समझाया नहीं जा सकता .....सिर्फ महसूस किया जा सकता है .साबरमती के इस संत को हमारा सलाम.
अरशिया ज़ैदी
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