भीगे-भीगे मौसम में ....मैं और मेरी परी

आज सुबह मैं अपनी तीन साल की भतीजी परी को बालकॉनी में लिए खड़ी थी. छोटी सी बच्ची गर्मी से बहुत परेशान हो रही थी ... अचानक मौसम का मिज़ाज ख़ुशनुमा होने लगा. गर्मी से राहत मिलने के आसार नज़र लगे .... ठंडी -ठंडी हवाएं चलने लगी , नीले आसमान को काले- काले बादल बड़ी तेज़ी से ढकने लगे थे .

कुछ देर पहले गर्मी से परेशान परी अब मुस्कुराने लगी थी ..... हवा उसके बालो से खेल रही थी
... उसने अपनी आखें बंद कर रखी थी और वो अपनी छोटी- छोटी बाहें हवा में फैलाकर अपने आप को बारिश में भिगोने की कोशिश कर रही थी. मेरी नज़रे उस पर जा कर ठहर गईं थी . ये नटखट शैतान लड़की इस वक़्त बेहद मासूम लग रही थी.
इस नन्ही परी को भीगने का बेहद शौक है ... अक्सर मैंने उसे अपने दादा से कहते हुए सुना है अददा ....हमें भिगोइए हमें भिगोइए- . अब तो सच-मुच बारिश की मोटी मोटी बूदें हम दोनों को भिगोने लगी थी .
बारिश का खुश नुमा मौसम है ही ऐसा ...जो सबको मस्ती में शराबोर कर दे . भीगना मुझे भी बेहद पसंद है ...और अब हम दोनों फूफी-भतीजी पूरी तरह मस्ती करना चाहते थे.
लिहाज़ा हम छत पर चले लगे .... छत पर से नज़ारा और भी ज्यादा ख़ूबसूरत दिख रहा था ..... बारिश इतनी तेज हो रही थी की दूर दूर तक धुंद ही धुंद नज़र आ रहा था ....हम दोनों बारिश के पानी में नहाये जा रहे थे . ... खूब शोर मचा रहे थे... खेल रहे थे.
वो मुहं पर हाथ रख कर कभी खिलखिला कर हंस पड़ती, तो कभी मेरी गोद में चढ़ जाती और कस के चिपट जाती ..... उसको इस तरह हँसता - खिलखिलाता देख कर ऐसा लग रहा था की सारी कायनात मुस्कुरा रही हो.
मैं उन ख़ूबसूरत लम्हों को पूरी तरह जी रही थी और कुछ वक़्त के लिए अपनी ज़िन्दिगी की उलझने और परेशानियो को भूल गयी थी. हम अक्सर बड़ी बड़ी खुशियों को हासिल करने के चक्कर में छोटी छोटी खुशियों की अहमियत को नहीं समझ पाते...और सुनहरे लम्हों को खो देते है.
जिंदिगी हमें ऐसे अनगिनत ख़ूबसूरत लम्हों से नवाज़ती है जो हमारी रूह को भी सुकून पंहुचा देते हैं .ये ख़ूबसूरत लम्हा उन्ही लम्हों में से एक था.... जिसे मैंने भरपूर जिया.
अरशिया ज़ैदी

आज सुबह मैं अपनी तीन साल की भतीजी परी को बालकॉनी में लिए खड़ी थी. छोटी सी बच्ची गर्मी से बहुत परेशान हो रही थी ... अचानक मौसम का मिज़ाज ख़ुशनुमा होने लगा. गर्मी से राहत मिलने के आसार नज़र लगे .... ठंडी -ठंडी हवाएं चलने लगी , नीले आसमान को काले- काले बादल बड़ी तेज़ी से ढकने लगे थे .


इस नन्ही परी को भीगने का बेहद शौक है ... अक्सर मैंने उसे अपने दादा से कहते हुए सुना है अददा ....हमें भिगोइए हमें भिगोइए- . अब तो सच-मुच बारिश की मोटी मोटी बूदें हम दोनों को भिगोने लगी थी .
बारिश का खुश नुमा मौसम है ही ऐसा ...जो सबको मस्ती में शराबोर कर दे . भीगना मुझे भी बेहद पसंद है ...और अब हम दोनों फूफी-भतीजी पूरी तरह मस्ती करना चाहते थे.
वो मुहं पर हाथ रख कर कभी खिलखिला कर हंस पड़ती, तो कभी मेरी गोद में चढ़ जाती और कस के चिपट जाती ..... उसको इस तरह हँसता - खिलखिलाता देख कर ऐसा लग रहा था की सारी कायनात मुस्कुरा रही हो.

अरशिया ज़ैदी
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