15 Jul 2012

Bheege Bheege Mausam Me Main Aur Meri Pari

           भीगे-भीगे  मौसम में ....मैं  और मेरी परी


 beege beege mausum me main aur meri pari
      


आज  सुबह  मैं  अपनी तीन साल की  भतीजी परी को बालकॉनी  में लिए खड़ी थी. छोटी सी बच्ची गर्मी  से बहुत परेशान  हो रही थी ... अचानक मौसम  का मिज़ाज  ख़ुशनुमा होने  लगा. गर्मी से राहत मिलने के आसार नज़र  लगे .... ठंडी -ठंडी हवाएं  चलने  लगी ,  नीले  आसमान  को  काले- काले  बादल  बड़ी तेज़ी  से ढकने लगे थे . 
beege beege mausam me main aur meri paribeege beege mausam me main aur meri pariकुछ देर  पहले गर्मी से परेशान  परी अब मुस्कुराने लगी थी ..... हवा  उसके बालो से खेल  रही थी ... उसने  अपनी आखें  बंद कर  रखी  थी और   वो  अपनी छोटी- छोटी  बाहें  हवा  में  फैलाकर  अपने आप को बारिश  में भिगोने  की  कोशिश  कर  रही थी.  मेरी  नज़रे  उस  पर जा कर  ठहर  गईं थी . ये नटखट शैतान लड़की  इस वक़्त बेहद   मासूम  लग रही थी.
इस  नन्ही परी को  भीगने  का बेहद  शौक  है  ... अक्सर  मैंने  उसे  अपने  दादा  से  कहते हुए  सुना  है  अददा ....हमें भिगोइए   हमें भिगोइए- . अब  तो सच-मुच  बारिश   की मोटी  मोटी  बूदें  हम दोनों  को  भिगोने  लगी थी .
बारिश  का खुश नुमा मौसम  है ही ऐसा ...जो  सबको मस्ती  में शराबोर कर दे . भीगना मुझे  भी  बेहद पसंद  है ...और अब  हम  दोनों  फूफी-भतीजी  पूरी तरह  मस्ती  करना  चाहते थे. 
लिहाज़ा  हम  छत  पर चले  लगे .... छत  पर से  नज़ारा और भी  ज्यादा ख़ूबसूरत  दिख  रहा था .....  बारिश  इतनी  तेज हो रही थी  की  दूर  दूर तक  धुंद  ही धुंद  नज़र  आ रहा था ....हम दोनों  बारिश के पानी में   नहाये जा  रहे थे . ... खूब  शोर  मचा  रहे थे... खेल रहे थे.
 वो  मुहं  पर हाथ  रख कर  कभी  खिलखिला  कर  हंस  पड़ती, तो कभी मेरी गोद में  चढ़ जाती  और कस  के चिपट जाती  ..... उसको  इस तरह  हँसता - खिलखिलाता  देख कर  ऐसा लग रहा था की सारी कायनात  मुस्कुरा रही  हो.
beege beege mausam mein main aur meri pariमैं  उन ख़ूबसूरत लम्हों को  पूरी  तरह जी रही थी और कुछ वक़्त के लिए अपनी  ज़िन्दिगी की उलझने और परेशानियो  को भूल गयी थी. हम अक्सर  बड़ी बड़ी खुशियों को हासिल करने के चक्कर में  छोटी छोटी खुशियों की  अहमियत  को नहीं समझ  पाते...और  सुनहरे  लम्हों को खो देते है.   
 जिंदिगी  हमें  ऐसे अनगिनत  ख़ूबसूरत  लम्हों से नवाज़ती  है जो हमारी रूह को भी सुकून पंहुचा देते  हैं .ये  ख़ूबसूरत  लम्हा उन्ही  लम्हों  में से एक था....  जिसे मैंने भरपूर जिया.

अरशिया  ज़ैदी  


 













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