6 Nov 2012

Manoj Baajpai

                मनोज  बाजपाई....एक बेमिसाल  एक्टर  




एक्टर मनोज बाजपाई  की एक्टिंग  की मैं  तब से  फैन रही  हूँ  जब से मैंने उन्हें  महेश  भट्ट के टी-वी  सीरियल  स्वाभिमान  में  सुनील का किरदार  निभाते हुए देखा था , हमेशा  से एक  अलग   छाप  छोड़ी है   उन्होंने , अपने  निभाए  हर किरदार  में,  आज उनकी   फिल्मे .... गैंग ऑफ़ वासेपुर  और  चक्रविहू   देश  विदेश  में  खूब तारीफें  बटोर रही हैं .   
अपने   पसंदीदा एक्टर  की   ये   कामयाबी,  ये  शोहरत   मुझे  भी   बेहद  अच्छी  लग रही  है   लेकिन दिल  में  इस  बात  का  मलाल  ज़रूर है  की  मनोज बाजपाई जैसे   बेहेतरीन  एक्टर   को   काफी  देर से  नोटिस  किया  गया है  जो अहमियत  उन्हें आज मिल रही है  वो  काफी  पहले   मिल  जानी  चाहिए थी  जबकी  वो  सत्या, शूल (1999) ,दिल पे मत ले  यार 2000, ज़ुबैदा , अक्स 2001  रोड 2002, पिंजर 2003 ,वीर ज़ारा 2004, राजनीति 2010  जैसी  फिल्मो में... एक  के बाद  एक. बेहतरीन  पर्फोर्मंसस   देते रहे   हैं  और  जिसके  लिए उन्हें कई   बड़े - छोटे अवार्ड  से  लगातार नवाज़ा  जाता  रहा  है।     

  हिंदी  फिल्मों  में  लीक  से  हट कर  बेहेतरीन  किरदार  निभाने वाले   मनोज  बाजपाई को   वो तवज्जो   नहीं   दी गयी  जो उन्हें देनी चाहिए थी . देश - विदेश  में  धूम  मचाने  वाली  उनकी  फिल्म  गैंग  ऑफ़   वासेपुर  जैसी   क़ामयाब  फिल्म देने के बाद  जब  वो  Wills Indian  Fashion Week  में    रैंप  पर  चले तो हर कोई उन्हें अपने  कैमरे  में  कैद  करने को बेताब हो रहे  था  जबकि   एक वक़्त  वो था  की जब वो मुंबई में  ऐसिड  फैक्ट्री   के लिए, और दिल्ली  में  फिल्म  जेल के लियें   रैंप  पर  चले  थे तब न तो किसी ने उन्हें  नोटिस  किया  और न ही किसी ने  किसी ने  उन्हें   क्लिक  करना चाहा  था।

  लेकिन कुछ  लोग  पैदाइशी   एक्टर  होते हैं जिन्हें  कामयाबी  के आसमान  पर  चमकने  से कोई  नहीं रोक  सकता . मनोज  बाजपाई  ऐसे ही लोगो में से  एक हैं . दिल्ली  के   नेशनल स्कूल ऑफ़  ड्रामा  से   चार बार रिजेक्ट  होने  के बाद   उन्होंने   बेरी  ड्रामा ऑफ  स्कूल में   बेरी  जॉन  के  साथ  थियेटर   किया ....  जहां   सुपर स्टार  शाहरुख़  खान   उनके  क्लास मेट थे . खुद  के टैलेंट  पर   यक़ीन  रखने वाले मनोज बाजपाई  को बेरी  जॉन  ने  हमेशा  एक  बेहतर एक्टर  और बेहतरीन  शागिर्द  क़रार  दिया था . 
अपने करियर  में  उन्हें,  फ़िल्मी दुनिया की कई  कड़वी  हक़ीक़तो  का सामना  करना  पड़ा जहां  उन्हें  ये पता चला  की  अवार्ड  परफॉरमेंस  के लिए नहीं  बल्कि   रसूक  वाले   लीडिंग  एक्टर्स  को,  जीताने  के  लिए  भी  दिए  जाते  है  . एक  बार  उन्हें  बेस्ट एक्टर  अवार्ड के लिए  चुना  गया  था,  उसमे  एक  दूसरे  लीडिंग  एक्टर का   नॉमिनेशन  भी  था .जूरी  ने एक तरफ़ा  फैसला   सुनाते  हुए  उनसे  कहा    ......"की  आपको तो पता है की विनर  कैसे चुना गया है। मनोज  आप विनर नहीं हो ..... और जूरी  ने ये  तय  किया है की  अवार्ड  मेन   स्ट्रीम   के उसी एक्टर  को  दिया  जायेगा . क्योकि उसे पहली बार  एक्टिंग  के लिए  अवार्ड मिल रहा  है....इसलिए उसे  ये मौक़ा दिया जाना चाहिए,  उसने  इस फिल्म में बड़ी  मेहनत  से काम किया है . मनोज तो एक्टर है , एक्टिंग करेगा ही .....आज नहीं तो कल उसे अवार्ड मिल ही  जायेगा " इस वाक़ये  ने  उनके  अवार्ड  लेने  की ख़ुशी को  कही न कही  कम ज़रूर  कर  दिया . 

  इसी  तरह  सालों  पहले,  उनकी  फिल्म,  सत्या  को ऑस्कार अवार्ड  में न भेज कर जींस जैसी फिल्म को ऑस्कर  के लिए  नॉमिनेशन  दे  दिया  गया  था, इसलिए  अब,  जब  उनकी फिल्म  गैंग ऑफ़ वासेपुर  के  ऑस्कर  अवार्ड्स के लिए  nominate  किये  जाने  की  ख़बरे  ज़ोरों  पर  हैं  तब  वो कोई  ख़ास  उम्मीद  नहीं  रख   रहे हैं।   



बिहार  के  छोटे से  ग़ाव  बेलवा  से ताल्लुक़  रखने वाले   इस  बेमिसाल   एक्टर  ने  अपनी  शुरू वाती  दौर की   पढ़ाई   बेतिया  के,  के . आर  कॉलेज से  पूरी की  और  फिर दिल्ली  के   रामजस  कॉलेज से  इतिहास   में  ग्रेजुएशन  करके  कुछ  वक़्त के लिए दिल्ली  के सलाम बालक  ट्रस्ट में  पढाया।  फिल्मो में  अपने  करियर  के शुरुवाती दौर  में  उन्होंने  फिल्म  द्रोह काल  और बेंडिट  क्वीन(1994 ) में    छोटे छोटे  रोल  किये .1996  में  वो  फिल्म दस्तक में  मुकुल देव और सुष्मिता सेन के साथ एक छोटे से रोल  में  नज़र  आये .फिल्म  सत्या  के  बाद   वो कामयाबी  की सीढियां  चढ़ते  चले गए। आज  मनोज  बाजपाई  की फिल्मो को  न  सिर्फ अपने देश में बल्कि  विदेश  में भी बेहद  तारीफ  और  शोहरत  मिल रही है..... जो इंशाल्लाह  आगे  भी  जारी रहेगी 




मनोज  बाजपाई ने  अपनी  पहली  शादी  नाकाम  होने के  बाद  2005 में  फिल्म  एक्ट्रेस   नेहा  उर्फ़ शबाना रज़ा को अपनी जिंदिगी का  हमसफ़र  बनायाजिनके साथ  वो  खुश हाल  शादी शुदा  जिंदिगी बिता रहे है। अब वो  एक  नन्ही   सी  परी  के  पापा भी  हैं जिसे  यकीनन अपने एक्टर  पापा  पर  नाज़  रहेगा ..... हमेशा ... हमेशा !!!    

अरशिया  ज़ैदी 







 










1 comment:

s.m.alam said...

beeeeeeeeutiiiful,a gr8 justice to a gr8 artist of Indian cinema