25 Apr 2012

Ye Kaisa Craze.......

                                                              ये कैसा क्रेज़ !

एक माँ अपनी 14 साल की बेटी  को एक  Educational Institute में ले गयी और काउंसलर से  बोली.... मेरी बेटी को आप किसी ऐसे कोर्स  में admission  दे दीजिये ....जिसमे  ये  ज्यादा से ज्यादा busy रहे.और इसे फेस  बुक और मोबाइल फ़ोन से चिपके रहने का ज़रा भी  वक़्त  न मिले .  
ये तो थी एक माँ की बात ...लेकिन आज आप जिस तरफ नज़र घुमाएँ वहाँ आपको यही हाल मिलेगा ...... कोई मोबाईल पर बातें करते करते घंटो निकाल देता है तो कोई  सोशल नेटवर्किंग साइट्स  पर  चेट करते करते   अपना सारा वक़्त  बर्बाद कर लेता है. 
 कई बार नयी  नवेली-दुल्हन अपने मियाँ से इसलिए खफा  हो जाती  है क्योकि उसका मियाँ उनसे ज़्यादा अपने कंप्यूटर को वक़्त देता  है और ऑफिस  से आकर  भी अपने कंप्यूटर पर गेम खलने  बैठ जाता है.बड़े क्या... बच्चे क्या...  कंप्यूटर गेम का चस्का एक ऐसा चस्का बन गया है जिसके  बाद तो फिर किसी को किसी चीज़ का होश नहीं रहता .
 बेशक  नई-नई technologies और gadgets  ने हमारी जिंदिगी में connectivity को काफी आसान कर दिया है जिससे हम व्यस्त जिंदिगी और वक़्त की कमी के चलते  भी एक- दुसरे से जुड़े रह पाते है.
पर कहते है न ... हद से ज्यादा कोई भी चीज़ बुरी होती है .ये बात अब  मोबाइल  फोन  और सोशल  नेटवर्किंग  साईटस के बारे में भी लागू होने लगी  है.ऐसा लगने लगा है की इन  technologies का इस्तेमाल लोगो के लिए  एक लत .... एक चस्का बनती जा रही है.
 हाल में ही आयी रिसर्च कहती है.....  की ज़रुरत से ज्यादा  मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कुछ लोगो के कान भी बजने लगे है....उन्हें बिना फ़ोन की घंटी बजे ही फ़ोन की घंटी सुनायी देती है.  और अगर थोड़ी देर तक उनका फ़ोन न बजे या कोई SMS न आये तो वो बैचेन  होने लगते  हैं . ..... उनके दिल की धड़कने बढ़  जाती है और  वो बार -बार अपने फोन को check करते रहते है.  

लोगो को Mobile Phone को लेकर इतना    obsession होता जा रहा है की वो एक मिनट के   लिए भी अपने फ़ोन को  खुद  से अलग नहीं कर पाते...  और तो और उनका फोन Bath Room में भी उनके साथ  जाता है.कई लोगो को तब तक नींद नहीं आती जब तक उनके ताकिये के पास उनका  मोबाइल  फ़ोन  नहीं रखा होता है .सोते- सोते तक  वो ये चेक करते रहते है की कही उनका कोई  मेसेज तो नहीं आया  ....और इस चक्कर में उनकी वो देर रात तक जागते रहते  है.
रिसर्च में आये ताज़ा आकडे बताते है की मोबाइल फ़ोन और सोशल  नेटवर्किंग साईटस पर बहुत ज्यादा वक़्त गुज़ारने और इन पर  ग़ैर ज़रूरी dependent रहने की  वजह  है ....लोगो के अंदर का अकेलेपन और आत्म सम्मान की कमी.
कई बार जब लोग जिंदिगी के बुरे दौर से गुज़र रहे होते है .... या अकेले रहते हुए अपने आप को Unwanted और lonely महसूस  करने लगते है तब  ऐसे में उनका  मोबाइल फोन उनका एक ऐसा दोस्त बन जाता है जिसका ज्यादा साथ उनके लिए नुकसानदेह  साबित हो सकता है.

इसका असर Offices में .Employees की performance पर भी देखने को मिल रहा है.फेस बुक  और ट्विट्टर जैसी  साइट्स पर ज्यादा वक़्त बिताने  से,उनका out put घटने लगा है.जिसे रोकने के लिए अब Offices में इन साईटस को  block किया जाने लगा है.
अच्छा होगा की हम  इनgadgets को अपनी सहूलियत के लिए इस्तेमाल करके इनका भरपूर फायदा उठाएं और किसी भी हालत में अपनी जिंदिगी पर इसका बुरा असर न पड़ने दे ..इसके लिए कुछ बातों का ख़याल रखा जा सकता  है. 
 खाना खाने से पहले फ़ोन  की  रिंग टोन को हल्का या बंद कर दे ताकी इत्मीनान से खाना खाया जा सके  ..... आपके खाने से ज्यादा ज़रूरी नहीं है  ...बात करना... बात.... खाना खाने के बाद भी की जा सकती है.
अगर आपको लोगो से आमने- सामने बात करते हुए बीच- बीच में फ़ोन पर बात करने और SMS चेक  करने की आदत है तो  अच्छा होगा की आप  ऐसा करने से खुद  को रोके और फोन को switched off कर दें .
मोबाइल के obsession से  छुटकारा पाने के लिए फ़ोन को  दुसरे कमरे में  recharge करे ... ताकी वहाँ तक जाते-जाते  आपका मेसेज पढने का जोश कुछ  कम हो सके.
सोने से पहले फ़ोन को  बंद कर के उसे Good Night ज़रूर कह दें ताकी  आपकी नींद में ख़लल न पड़े और आप चैन से सो सकें . 
फ़ोन पर लम्बी-लम्बी  बात करने से अच्छा होगा की आप अपने दोस्त से रुबरु मुलाक़ात करे और फुर्सत के लम्हे उनके साथ गुज़रें... यकीनन  आपको अच्छा लगेगा.
   अरशिया ज़ैदी  

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