100 साल की जवान ......जोहरा सहगल
"अभी ना जाओ छोड़ कर,
"अभी ना जाओ छोड़ कर,
के दिल अभी भरा नहीं .....
27 अप्रैल 1912 को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में पैदा हुई और सहारन पुर के रूहेला पठान ज़मीदार खानदान से ताल्लुक़ रखने वाली जोहरा सहगल बीती 27 अप्रैल को 100 साल की हो गयी.उनका ज़िक्र आते ही ऐसी खुश मिज़ाज,अल्ल्हड़ , नटखट और बिंदास बुज़ुर्ग अदा कारा का चेहरा सामने आता है जो अपनी बेमिसाल एक्टिंग के लिए तो जानी ही जाती है.... साथ ही जानी जाती है जिंदिगी के लिए अपने जोश और प्यार के लिए .


इसके अलावा छोटे परदे पर The Jewel in the crown,(1984),Tandoori Nights (1985-87),Amma & Family(1996) जैसे मशहूर टी वी सीरियल स में भी अपने काम से लोगो के दिलो पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही.
जोहरा नास्तिक ख़यालात की रही है.ख़ुदा में यकीन न रखने वाली जोहरा ने जब मजहब और जात -पात से ऊपर उठ कर अपने से 8 साल जूनियर .... 'साइंटिस्ट ,डांसर और पेंटर' कामेश्वर नाथ सहगल से शादी का फैसला किया तो शुरू में माँ - बाप की रज़ा मंदी नहीं मिली लेकिन कुछ वक़्त के बाद वो मान गए और उन्होंने शादी की इज़ाज़त दे दी. 14 अगस्त 1942 को उन्होंने कामेश्वर नाथ सहगल से शादी कर ली .उनकी शादी के reception में पंडित जवाहर लाल नेहरु भी शामिल होने वाले थे लेकिन उन्ही दिनों 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में महात्मा गाँधी का साथ देने की वजह से उन्हें कुछ दिनों के लिए गिरफ्तार कर लिया और वो जोहरा की शादी में शामिल नही हो सके थे .

जोहरा की शख़्सियत शुरू से ही रोबदार और दूसरो पर धोंस जमाने वाली थी.1945 में जब वो और उनकी बहन उज़रा साथ -साथ प्रथ्वी थियेटर में काम कर रही थी तो वो अक्सर ओपरा हाउस का एक कोना पकड़ लिया करती .... और फिर किसी की मजाल ....की कोई उनका छोटा सा भी मेंकअप का सामान ले सके.... यहाँ तक की छोटी बहन उज़रा भी नहीं ... हालांकि,सब उनकी बेहद इज्ज़त करते थे और उनका मुकाम बहुत ऊंचा था फिर भी उन्हें .... ये लगता था की उज़रा बेहद गोरी और हसीन है इसलिए सब उसे ज्यादा प्यार करते है.
वो खूबसूरत दिखने और लोगो का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए काफी मशक्कत करती.....और उनकी ये चाहत आज भी बरक़रार है .
"आज भी वो एक ऐसी खूबसूरत औरत दिखने की ख़्वाहिश अपने दिल में रखती है.जो अंग्रेजो की तरह बेहद गोरी हो और जिसकी आखों का रंग नीला हो ."
उनकी जिंदिगी तब थम सी गयी, जब 1959 में उनके शोहर कामेश्वर सहगल ने, हमेशा के लिए अपनी आँखें बंद कर ली ...और बेटी किरण सहगल और बेटा पवन सहगल की ज़िम्मेदारी अकेली जोहरा सहगल पर आ गयी.अपनी इस ज़िम्मेदारी को भी उन्होंने बखूबी निभाया और बच्चो की बेहेतरीन परवरिश की .

जिंदिगी के उतार - चढाव उन्हें कभी हरा नहीं पाए उन्होंने .... अपने अंदर की आग को जलाये रखा .... बस आगे चलती गयी ... कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा ,अपनी Creativity को बरक़रार रखते हुए हमेशा कुछ नया ... कुछ अच्छा करती गयी .जिसके लिए उन्हें अब तक पद्म श्री(1998),काली दास सम्मान ,(2001) जैसे बड़े खिताबो से नवाज़ा जा चुका है.2004 में संगीत नाटक अकादमी से उन्हें Life time achievements के लिए fellow ship दी गयी और 2010 में पदम् विभूषण सम्मान दिया गया.
जोहरा सहगल की बेटी किरण सहगल ने अपनी माँ की 100 वी साल गिरह पर पहली Biography "जोहरा सहगल फैटी" निकाली है जिसमे उन्होंने जोहरा सहगल की जिंदिगी के अन छुये पहलुओं पर रौशनी डाली है और ख़ास तौर पर "फैटी "लव्ज़ इसलिए इस्तेमाल किया है क्योंकि उनकी माँ अपने वज़न को लेकर आज भी ऐसे ही ऐतिहात बरतती हैं ..... जैसे 16 साल की लड़की ... हर हफ्ते अपना वज़न तौलने वाली जोहरा सहगल को अगर ज़रा सा भी अपना वज़न बढ़ा हुआ लगता है,तो वो फौर न अपनी diet कम कर देती हैं और दो टोस्ट के बजाये एक टोस्ट ही लेना पसंद करती है.
जोहरा सहगल वक़्त की बड़ी पाबंद हैं और अपनी घडी को पांच मिनट आगे रखती हैं .....शायद इसी लिए वो वक़्त से कही आगे हैं, उन्होंने उम्र को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया.... और आज भी मस्ती में गुनगुनाती हैं .. "अभी तो मैं जवान हूँ ...अभी तो मैं जवान हूँ "
अरशिया ज़ैदी
जोहरा नास्तिक ख़यालात की रही है.ख़ुदा में यकीन न रखने वाली जोहरा ने जब मजहब और जात -पात से ऊपर उठ कर अपने से 8 साल जूनियर .... 'साइंटिस्ट ,डांसर और पेंटर' कामेश्वर नाथ सहगल से शादी का फैसला किया तो शुरू में माँ - बाप की रज़ा मंदी नहीं मिली लेकिन कुछ वक़्त के बाद वो मान गए और उन्होंने शादी की इज़ाज़त दे दी. 14 अगस्त 1942 को उन्होंने कामेश्वर नाथ सहगल से शादी कर ली .उनकी शादी के reception में पंडित जवाहर लाल नेहरु भी शामिल होने वाले थे लेकिन उन्ही दिनों 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में महात्मा गाँधी का साथ देने की वजह से उन्हें कुछ दिनों के लिए गिरफ्तार कर लिया और वो जोहरा की शादी में शामिल नही हो सके थे .

जोहरा की शख़्सियत शुरू से ही रोबदार और दूसरो पर धोंस जमाने वाली थी.1945 में जब वो और उनकी बहन उज़रा साथ -साथ प्रथ्वी थियेटर में काम कर रही थी तो वो अक्सर ओपरा हाउस का एक कोना पकड़ लिया करती .... और फिर किसी की मजाल ....की कोई उनका छोटा सा भी मेंकअप का सामान ले सके.... यहाँ तक की छोटी बहन उज़रा भी नहीं ... हालांकि,सब उनकी बेहद इज्ज़त करते थे और उनका मुकाम बहुत ऊंचा था फिर भी उन्हें .... ये लगता था की उज़रा बेहद गोरी और हसीन है इसलिए सब उसे ज्यादा प्यार करते है.

"आज भी वो एक ऐसी खूबसूरत औरत दिखने की ख़्वाहिश अपने दिल में रखती है.जो अंग्रेजो की तरह बेहद गोरी हो और जिसकी आखों का रंग नीला हो ."
उनकी जिंदिगी तब थम सी गयी, जब 1959 में उनके शोहर कामेश्वर सहगल ने, हमेशा के लिए अपनी आँखें बंद कर ली ...और बेटी किरण सहगल और बेटा पवन सहगल की ज़िम्मेदारी अकेली जोहरा सहगल पर आ गयी.अपनी इस ज़िम्मेदारी को भी उन्होंने बखूबी निभाया और बच्चो की बेहेतरीन परवरिश की .

जिंदिगी के उतार - चढाव उन्हें कभी हरा नहीं पाए उन्होंने .... अपने अंदर की आग को जलाये रखा .... बस आगे चलती गयी ... कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा ,अपनी Creativity को बरक़रार रखते हुए हमेशा कुछ नया ... कुछ अच्छा करती गयी .जिसके लिए उन्हें अब तक पद्म श्री(1998),काली दास सम्मान ,(2001) जैसे बड़े खिताबो से नवाज़ा जा चुका है.2004 में संगीत नाटक अकादमी से उन्हें Life time achievements के लिए fellow ship दी गयी और 2010 में पदम् विभूषण सम्मान दिया गया.
जोहरा सहगल वक़्त की बड़ी पाबंद हैं और अपनी घडी को पांच मिनट आगे रखती हैं .....शायद इसी लिए वो वक़्त से कही आगे हैं, उन्होंने उम्र को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया.... और आज भी मस्ती में गुनगुनाती हैं .. "अभी तो मैं जवान हूँ ...अभी तो मैं जवान हूँ "
अरशिया ज़ैदी
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